सिंह संक्रांति 2024 में 16 अगस्त को मनाई जाएगी। यह संक्रांति सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश का प्रतीक है और हिंदू धर्म में इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है।
सिंह संक्रांति का महत्व:
- धार्मिक महत्व: इस दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। विशेष रूप से ओडिशा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं और सूर्य भगवान को जल अर्पित करते हैं।
- ऋतु परिवर्तन: सिंह संक्रांति वर्षा ऋतु के अंत और अधिक शुभ काल की शुरुआत का प्रतीक है। इसे नए कार्यों की शुरुआत के लिए अच्छा समय माना जाता है।
इस दिन के अनुष्ठान और उत्सव:
- पवित्र स्नान: भक्तजन पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करते हैं, जिससे वे अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- पूजा और अर्पण: सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें जल, फूल और अन्य पूजन सामग्री अर्पित की जाती है।
- दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। भोजन, वस्त्र और अन्य सामग्री का दान किया जाता है, जिससे अच्छा कर्म और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
- संस्कृति और परंपराएं: ओडिशा में इस दिन लोकगीत, नृत्य और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग विशेष रूप से पारंपरिक मिठाइयां और पकवान बनाते हैं।
ज्योतिषीय महत्व:
- सूर्य का गोचर: सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश एक शक्तिशाली समय माना जाता है, जब व्यक्ति आत्म-विकास और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। सिंह राशि, जो सूर्य द्वारा शासित होती है, नेतृत्व, शक्ति और अधिकार का प्रतीक है।
सिंह संक्रांति आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।