श्रीरामशलाका प्रश्नावली ( shri ram shalaka prashnavali ) गोस्वामी तुलसीदास की रचना श्री रामचरितमानस में दिया गया है। इसमें एक 15×15 ग्रिड में कुछ अक्षर, मात्राएँ आदि लिखे हैं। जिनके प्रयोग से हम रामायण की चौपाई बनाते है| मान्याता है कि किसी को जब कभी आपको अपने किसी प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो श्री राम शलाका की मदद से अपने सवालों का जवाब प्राप्त किया जा सकता है|
कई बार दूसरे लोग जिस कार्य में सफल हो रहे होते है हम असफल हो जाते है या तमाम परिश्रम तमाम योजनाओं के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते है| तब हम असमंजस में पड़ जाते है की हम क्या करे? हमें अमुक कार्य करना चाहिए अथवा नहीं हमें सफलता मिलगी अथवा हमारी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी| ऐसी असमंज की स्तिथि से पार पाने के लिए पवित्र श्रीराम शलाका (Shri Ram Shalaka Prashnavali) से हमें सच्चा मार्ग दर्शन प्राप्त हो सकता है ।
श्रीराम शलाका (Shree Ram Shalaka) का कैसे प्रयोग करें?
हमारे धार्मिक साहित्य में इस अदभुत पवित्र श्री राम शलाका ( Ram Shalaka ) की बहुत मान्यता है और इसका उपयोग भी बहुत ही सरल है। सर्वप्रथम प्रभु श्री राम का सच्चे हर्दय से ध्यान करते हुए अपने मन में अपना प्रश्न सोचें जिस पर आप प्रभु की कृपा चाह रहे है, फिर उस कार्य की सफलता की प्रार्थना करते हुए नीचे दिए गए “किसी भी शब्द पर अपनी आंख बंद करके क्लिक कर दें|
श्रीराम शलाका ( Shri Ram Shalaka Prashnavali ) जिस शब्द पर आपने क्लिक किया है उससे हर नौ खानों में दिए गए शब्दों को जोड़कर एक चौपाई बनती है जो आपका समाधान है अब आप अपनी आँखे खोल दें आपकी आँखों के सामने आपके प्रश्न का उत्तर होगा।
दिवाली पूजा विधि की कुछ बाते जो हम अक्सर भूल जाते है।
अमावस्या की रात्रि बहुत ही अँधेरी होती है तो इस दिन हम सभी रात्रि में दीपक जला कर पूजा करते है क्यूंकि दिवाली की पूजा शाम में सूर्यास्त के बाद में ही करना शुभ माना गया है तो आइये दिवाली पूजा विधि की विस्तृत जानकारी बताते है।
श्रीराम शलाका चौपाई (Shri Ram Shalaka Chaupai
)
इस श्री राम शलाका में कुल 9 चौपाई है| जिसके आधार पर हमें उनसे अपने प्रश्न का उत्तर प्राप्त होता है|
सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।
यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है। गौरीजी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है।
फलः- प्रश्नकर्त्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा।
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।
फलः-भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।
उघरें अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फलः-इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फलः-खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य की सफलता में सन्देह है।
होइ है सोई जो राम रचि राखा। को करि तरक बढ़ावहिं साषा।।
यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है।
फलः-कार्य होने में सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयष्कर है।
मुद मंगलमय संत समाजू। जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।
यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरुपी तीर्थ के वर्णन में है।
फलः-प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
गरल सुधा रिपु करय मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
यह चौपाई श्रीहनुमान् जी के लंका प्रवेश करने के समय की है।
फलः-प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।
बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सनमुख धरि काह न धीरा।।
यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।
फलः-कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। राम लखनु सुनि भए सुखारे।।
यह चौपाई बालकाण्ड पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है।
फलः-प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा