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भुवन विराजी शारदा,
महिमा अपरम्पार।
भक्तों के कल्याण को
धरो मात अवतार ॥
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
नित गाऊँ मैया नित गाऊँ।
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
श्रद्धा को दीया प्रीत की बाती
असुअन तेल चढ़ाऊँ।
श्रद्धा को दीया प्रीत की बाती
असुअन तेल चढ़ाऊँ ।
दरश तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
मन की माला आँख के मोती
भाव के फूल चढ़ाऊँ।
मन की माला आँख के मोती
भाव के फूल चढ़ाऊँ ॥
दरश तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
बल को भोग स्वांस दिन राती
कंधे से विनय सुनाऊँ।
बल को भोग स्वांस दिन राती
कंधे से विनय सुनाऊँ ॥
दरश तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
तप को हार कर्ण को टीका
ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ।
तप को हार कर्ण को टीका
ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ॥
दरश तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
माँ के भजन साधु सन्तन को
आरती रोज सुनाऊँ।
माँ के भजन साधु सन्तन को
आरती रोज सुनाऊँ ॥
दरश तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
सुमर-सुमर माँ के जस गावें
चरनन शीश नवाऊँ।
सुमर-सुमर माँ के जस गावें
चरनन शीश नवाऊँ ॥
दरश तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
मैया शारदा तोरे दरबार
आरती नित गाऊँ।
॥ इति श्री शारदा आरती ॥