श्री साईं बाबा जी के ग्यारह वचन
1. जो शिरडी में आएगा| आपद दूर भगाएगा|
2. चढ़े समाधि की सीढ़ी पर| पैर तले दुःख की पीढ़ी कर|
3. त्याग शरीर चला जाऊँगा| भक्त हेतु दौड़ा आऊँगा|
4. मन में रखना दृढ़ विश्वास| करे समाधि पूरी आस|
5. मुझे सदा जीवित ही जानो| अनुभव करो सत्य पहचानो|
6. मेरी शरण आ खाली जाये| हो तो कोई मुझे बताये|
7. जैसा भाव रहा जिस जन का| वैसा रूप हुआ मेरे मन का|
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा| वचन न मेरा झूठा होगा|
9. आ सहायता लो भरपूर| जो माँगा व नहीं है दूर|
10. मुझमें लीन वचन न काया| उसका ऋण न कभी चुकाया|
11. धन्य धन्य व भक्त अनन्य| मेरी शरण तज जिसे न अन्य|
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