लेखक-पत्रकार अवधेश प्रीत का उपन्यास अशोकराज पथ पटना पुस्तक मेले लोकापर्ण हुआ ,लेखक अवधेश प्रीत की साहित्य जगत में भी बराबर की पैठ रही है,उनके कई कथा संग्रह पहले ही आ चुके हैं और लोगों द्वारा पसंद किये गये हैं. अब वे पुराने पटना की मशहूर सड़क अशोक राज पथ को केंद्र बनाकर यह उपन्यास लेकर आये हैं .यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है .
‘अशोक राजपथ’,छात्र-युवा राजनीति पर केन्द्रित उपन्यास
महत्त्वपूर्ण कथाकार अवधेश प्रीत का यह उपन्यास बिहार के कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षण-परिवेश को उजागर करता है कि किस तरह प्राध्यापक अपनी अतिरिक्त आय के लिए कोचिंग का व्यवसायकर रहे हैं! इसके पाश्र्व में छात्र-राजनीति का भी खुलासा होता है—छात्रों की उच्छृंखलता, अनुशासनहीनता और भ्रष्टता से उपजे सवाल पाठक के अन्तर्मन में लगातार विचलन भरते हैं। गाँवों, कस्बों से अपना भविष्य सँवारने आए छात्र विद्या और अनीता जैसी लड़कियों के रोमांस में उलझकर वायावी वैचारिकता की बहसें ही नहीं करते, अपितु शराब और आवारगी में अपने को पूरी तरह झोंक देते हैं। वे कोचिंग के विरोध में आन्दोलन करते हैं, जिससे अशोक राजपथ का जन-जीवन अस्त-व्यस्त और दुकानें बन्द हो जाती हैं, पुलिस प्रशासन इस विरोध की समाप्ति में अ-सक्षम सिद्ध होता है। और एक खिसियाहट हवा में तारी हो जाती है।
दिवाकर, राजकिशोर, जीवकान्त जैसे किरदार अपने कार्य-कलापों से अन्त तक कौतुक, आशंकाएँ और रोमांच के भावों-विभावों का सृजन करते हैं। कमलेश की मृत्यु को छात्र शहीद की सरणि में दर्ज कराते हैं जोकि परिस्थितिजन्य बेचारगी है। उपन्यास में जिज्ञासा के समानान्तर एक सहम महसूस होती रहती है—यहाँ प्रतिवाद का परिणाम अज्ञात नहीं रहता। वहीं अंशुमान की उदास आँखों में अपने आदर्श को बचाने कीबेचैनी गहरे तक झकझोर जाती है। सडक़ों पर जीवन की हलचल और भागमभाग है—जैसे सभी एक नए लोक की खोज में हों, यानी वे सभी अशोक राजपथ से पीछा छुड़ाने की हड़बड़ी में हों। अन्तत: जीवकान्त स्वयं से प्रश्न करता है—हमें किधर जाना है?
लेखक अवधेश प्रीत के बारे में
गाज़ीपुर (उ.प्र.) जि़ले के एक छोटे से गाँव तरांव में जन्मे कथाकार अवधेष प्रीत ने एम.ए. हिन्दी कुमायूँ वि.वि. से किया। नृशंस, अली मंजि़ल, ग्रासरूट, तालीम, हमज़मीन जैसी कई कहानियाँ चर्चित-प्रशंसित। नृशंस, हमज़मीन, तालीम और ग्रासरूट कहानियों का विभिन्न नाट्य संस्थाओं द्वारा मंचन। अली मंजि़ल और अलभ्य कहानियों पर दूरदर्शन की ओर से टेली$िफल्म का निर्माण एवं प्रसारण। कई कहानियाँ अंग्रेजी,उर्दू और मराठी में अनूदित। अली मंजि़ल कहानी पाकिस्तान में भी प्रकाशित।
प्रकाशन :हस्तक्षेप, नृशंस, हमज़मीन, कोहरे में कंदील और मेरी चुनी हुई कहानियाँ संग्रह प्रकाशित।
सम्मान : फणीश्वरनाथ रेणु कथा सम्मान, अखिल भारतीय विजय वर्मा कथा सम्मान, सुरेन्द्र चौधरी कथा सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी कथा सम्मान।
सम्प्रति : दैनिक हिन्दुस्तान, पटना में सहायक सम्पादक।
सम्पर्क : कृश्न निवास, सुमति पथ, रानीघाट, महेन्द्रू, पटना-800006
पुस्तक : अशोक राजपथ
लेखक : अवधेश प्रीत
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
भाषा : हिंदी
बाईंडिंग : पेपरबैक
मूल्य : 225/-
वर्ष : 2018
खंड : उपन्यास
पजेस : 232
EAN/ISBN-13 for PB 978-93-87462-16-8
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