विष्णुपाद मंदिर, गया, बिहार Vishnu Mandir, Bihar

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यह पावन मंदिर गया की पुनीत धरती पर फालगु नदी के किनारे स्तिथ है| धार्मिक विश्वास के अनुसार, यह मंदिर उसी धरती पर निर्मित किया गया है जहाँ प्राचीन समय में भगवान विष्णु ने अपने चरण चिन्ह छोड़े थे| इसीलिए इस मंदोर का नाम विष्णुपाद पड़ा| मंदिर में स्तिथ एक पत्थर की शीला पर भगवान विष्णु के चरणों के निशान आज भी देखे जा सकते हें| इन चरण चिन्हों के दर्शन करने दूर दूर से भक्तगण आते हें| यह अश्तकोणीय मंदिर 30 फीट उँचा है और ग्रेनाइट शिला से निर्मित है| सुरुचिपूर्ण तरीके से निर्मित स्तंभों से सुसज्जित ये मंदिर अपनी शिल्प शैली के लिए भी जाना जाता है| मंदिर की मीनार लगभग 100 फीट उँची है| भगवान विष्णु के एक हज़ार नाम मंदिर की दीवारों पर अंकित हैं| मंदिर में अक्षयभात वृक्ष भी है जहाँ भक्तगण अपने दिवंगत बंधुओं की आत्मा की शांति हेतु पूजा अर्चना करते हें|
मंदिर के विशाल प्रांगण में 14 अन्य छोटे मंदिर भी बने हुए हैं जो दूसरे देवी देवताओं को समर्पित हें|इस मंदिर का निर्माण अहिल्या बाई होलकर ने इन्दोर में सन 1787 में करवाया था|
इस मंदिर का अत्यधिक एतिहसिक और पौराणिक महत्व है| भगवान विष्णु के पावन चरणों की उपस्थिति ने इस मंदिर को अत्यंत पवित्र बना दिया| भगवान बुद्ध ने इसी मंदिर में गहन समाधि और कालांतर में यहीं बुद्धत्व प्राप्त किया|

छट पूजा
यह त्योहार सूर्या देवता को नमन करते हुए मनाया जाता है| बिहार में इस त्योहार की अत्यधिक मान्यता है| मंदिर में यह पूजा बहुत भकीटभाव के साथ तीन दिनों तक की जाती है|

गया श्राध
इस पावन पुनीत मंदिर में हज़ारों की तादाद में भक्तगण अपने पूर्वजों का श्राध और पिंड दान करने हेतु आते हें| उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है|

बुद्ध जयंती
चूँकि यह पावन स्थान महान भगवान बुद्ध की ध्यान स्थली है, इस मंदिर की महानता और अधिक बढ़ जाती है| बुद्ध जयंती के उपलक्ष्य में मंदिर में अनेकानेक कार्यक्रम होते हें|

पिंड दान पूजा / पितृ दोष पूजा
यह पूजा दिवंगत प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है! यह पूजा ऐसे दिवंगत जनों के लिए की जाती है जिन्हें संसार से शांतिप्रिय मुक्ति प्राप्त ना हुई हो|

तुलसी पूजा
हिंदू शस्त्रों में तुलसी के पौधे का बहुत अधिक महत्व है| इस पौधे की पूजा करते हुए भगवान विष्णु के नामों का उच्चारण किया जाता है|

पितृ गायत्री और भागवत कथा
भगवान की अराधना, भागवत कथा बांची जाती है और अपने दिवंगत प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है|

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