आदि गुरु: पहले गुरु और शिष्य
गुरु वह नहीं है जो सांत्वना देता है। जो लोग तुम्हें सांत्वना या मनोवैज्ञानिक राहत देते हैं उन्हें गुरु मत कहो, क्योंकि वे तुम्हें केवल तुम्हारे अज्ञान की गहाराई में ही ले जाएँगे। जो व्यक्ति तुम्हारी सीमाओं को प्रोत्साहित और पोषित करता है, तथा जो तुम्हें सुखद एहसास कराने की कोशश करता है, वह निश्चत ही तुम्हारा गुरु नहीं है।
गुरु वह व्यक्ति है जो तुम्हें डराता है और तुम जिस तरह से हो उसको नष्ट करता है, ताकि तुम उस तरह बन सको जैसे सृष्टा तुम्हें चाहता था।
गुरु की ऊर्जा का प्रभाव
अगर तुम उसके साथ बैठने में आतंकित महसूस करते हो, तुम जो हो वह उसकी उपस्थिति में अगर बेहद तुच्छ लगता है, अगर तुम जो हो, वह उसकी उपस्थिति में कांपने लगता है, तो फिर वही तुम्हारा गुरु है। उसकी उपस्थिति में तुम नहीं जानते कि क्या करना है, पर फिर भी सब कुछ घटित होता है, तब निश्चित रूप से वह तुम्हारा गुरु है।
गुरु एक सेतु है
अगर तुम अपने गुरु के साथ बैठने से खुश हो, अगर तुम बहुत आराम महसूस करते हो, तो वह तुम्हारा गुरु नहीं है, क्योंकि वह केवल तुम्हारी सीमाओं को सहारा दे रहा है, तुम्हारी मर्यादाओं को संकट में नहीं डाल रहा है।
जानने की लालसा
अब, तुम किसी गुरु की खोज या चुनाव मत करो। तुम जानने की गहरी लालसा पैदा करो और तुम्हारे लिए गुरु आ जाएंगे।
एक संभावना है गुरु
गुरु कोई व्यक्ति नहीं है, जिससे तुम मिलते हो, जिसके साथ हाथ मिलाते हो, जिसे प्रणाम करते हो, या जिसके पास जाकर तुम किसी चीज़ की याचना या प्रार्थना करते हो। वह एक संभावना है, एक खास ऊर्जा या शक्ति है, एक रिक्तता है, वह बस तुम्हारे साथ घटित हो सकता है।
✍ Share Your Knowledge with Our Community!
get rewards for paying bills
upto ₹250 off when you pay your first bill on CRED