शारदीय नवरात्र इस वर्ष 21 सितंबर से है। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों की है। यानी मां दुर्गा की आराधना पूरे नौ दिनों तक होगी। नवरात्र को लेकर शहर में तैयारियां शुरू हो गयी हैं। सड़कों पर पूजा पंडाल खड़ा करने के लिए बांस-बल्ले लगने लगे हैं। मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है।
शहर में जगह-जगह मूर्ति बनाने में मूर्तिकार जुट गए हैं। बाहर से आए मूर्तिकार अस्थायी वर्कशॉप में एक साथ कई पूजा पंडालों के लिए मूर्तियां तैयार करने लगे हैं। ज्योतिषाचार्य मार्कण्डेय शारदेय के अनुसार इस बार दुर्गापूजा जयद् योग और हस्त नक्षत्र में शुरू होगा।
कलश स्थापना गुरुवार 21 सितंबर की सुबह 9.58 बजे तक किया जा सकता है। इस दिन प्रतिपदा की तिथि 9.58 बजे तक ही है और इसके बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी। लेकिन नवरात्र की पूजा पूरे नौ दिनों तक ही होगी। विजयादशमी 30 सितंबर को रात्रि 11 बजे तक है। मां की प्रतिमा का विसर्जन सर्वणा नक्षत्र में शाम 5 बजे के बाद होना है।
ज्योतिषाचार्य शारदेय के अनुसार मां दुर्गा इस बार धरती पर डोली पर आएंगी जबकि मुर्गा पर विदा होंगी। शास्त्रों के हवाले से बताया कि डोली पर मां का आना महामारी का सूचक है। जबकि मुर्गा पर विदा होना विकलता,बेचैनी आदि का सूचक है। मां का आना और जाना दोनों बहुत ही मंगलकारी नहीं कहा जा सकता है। पर गुरुवार को विजयादशमी की शुरुआत होना फलदायी है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पूरे विधि-विधान के साथ कलशस्थापना करके गणेश जी और मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। मां को दुर्गापाठ सुनाया जाएगा। विशेष पूजा में मां को केश संस्कारक द्रव्य शैंपू आदि अर्पित किया जाना चाहिए। शुक्रवार 22 सितंबर को द्वितीया तिथि की पूजा होगी और मां को केश बांधने के लिए फीता,चोटी आदि अर्पित किया जाना चाहिए।
तृतीया तिथि को मां को सिंदूर,अलता आदि अर्पित किया जाना चाहिए। चतुर्थी तिथि को ¨बदी,काजल,,पंचमी तिथि को उबटन, अलंकार आदि,.षष्ठी तिथि को बेल न्योती, 27 सितंबर को सप्तमी पर पत्रिका प्रवेश पूजा,निशा पूजा और 28 सितंबर को अष्टमी पर महाष्टमी पूजा, 29 सितंबर को नवमी पर हवन किया जाएगा। 30 सितंबर को जयंती धारण, अपराजिता पूजन, शमी पूजन है।