नागपुर.अपात्र उम्मीदवारों की लेक्चरर, असिस्टेंट लेक्चरर के
रूप में भर्ती का मुद्दा एक जनहित याचिका में उठाया गया है। याचिकाकर्ता
सुरेश खाेंडे के अनुसार संस्थानों में शैक्षणिक पात्रता पूरी करने न करने
वाले उम्मीदवारों को भी उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने पॉलिटेक्निक
संस्थानों में नियुक्त कर दिया है।
एमपीएससी
की असहमति के बावजूद कोर्ट के आदेश की आड़ लेकर विभाग ने ऐसे 530 अपात्र
उम्मीदवारों की प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति की है। याचिकाकर्ता ने इस
मामले मंे जांच समिति गठित करने की मांग हाईकोर्ट से की है। हाईकोर्ट ने इस
मामले में प्रतिवादी उच्च शिक्षा विभाग और एमपीएससी से 3 सप्ताह में जवाब
मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एम.वी.मोहकर और पियूष गिरडेकर ने
पक्ष रखा।
यह है मामला
राज्य
में वर्ष 1992 के दौरान विविध गर्वमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज मंे
प्राध्यापकों के पद खाली थे। ऐसे में यहां कांट्रैक्ट बेसिस पर कुछ अस्थाई
शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। समय बाद कुछ अस्थाई शिक्षकों ने नौकरी
छोड़ कर दूसरे सरकारी विभाग में नौकरी ज्वाइन कर ली। मगर वर्ष 2003 में 91
शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने उन्हें नियमित
नियुक्ति देने के आदेश उच्च शिक्षा विभाग को दिए। उल्लेखनीय है कि
संस्थानों में नियुक्ति एमपीएससी के द्वारा की जाती है।
वर्ष
2013 में एमपीएससी ने अपात्र प्राध्यापकों की नियुक्ति मंजूर करने से
इनकार कर दिया। मगर उच्च शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते
हुए 91 की जगह कुल 530 अस्थाई शिक्षकों को नियमित नियुक्तियां दे दी।
याचिकाकर्ता के अनुसार अस्थाई शिक्षकों को नौकरी देने के चक्कर मंे उच्च
शिक्षा विभाग में एमपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को
नियुक्ति देने से इनकार कर दिया।
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