केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के आंकड़ों के मुताबिक, रेलवे में भ्रष्टाचार के 730 मामलों की जांच लंबित है, जिनमें 350 वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कई सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच लंबित पड़ी हुई है। खास बात यह है कि इस सूची में रेलवे शीर्ष पर है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के आंकड़ों के मुताबिक, रेलवे में भ्रष्टाचार के 730 मामलों की जांच लंबित है, जिनमें 350 वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े हैं। इसी तरह, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में 526, इंडियन ओवरसीज बैंक में 268 और दिल्ली सरकार में भ्रष्टाचार के 193 मामलों की जांच लंबित है। आंकड़े बताते हैं कि इसी तरह के 164 मामले भारतीय स्टेट बैंक में, 128 बैंक ऑफ बड़ौदा में व 82 बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लंबित हैं। दूसरी तरफ, पंजाब नेशनल बैंक में 100, सिंडीकेट बैंक में 91, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 50, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में 47, प्रसार भारती में 41, कॉरपोरेशन बैंक में 36, एयर इंडिया में 26, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड में 30 और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में 02 मामले अनुशासनात्मक जांच के लंबित हैं।
ये आंकड़े सीवीसी की अपनी ओर से की गई पहल पर आधारित हैं, ताकि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में तेजी लाई जा सके। दरअसल, सीवीसी ने विभिन्न सरकारी विभागों से एक निर्धारित प्रारूप में वरिष्ठ और कनिष्ठ स्तर के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के लंबित मामलों का ब्योरा तलब किया था। जवाब में आयोग को 290 संगठनों की ओर से जानकारी मुहैया कराई गई है।
सीवीसी की ओर से सभी विभागों को जारी निर्देश में कहा गया है कि आयोग समय-समय पर सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अनुशासनात्मक प्रक्रिया तेजी से पूरी करने की जरूरत पर बल देता रहा है। इसके मुताबिक, 'बार-बार कहे जाने के बावजूद यह देखा गया है कि इस कार्य के प्रति संबंधित अनुशासनात्मक अधिकारी जरूरी ध्यान नहीं दे रहे हैं, इस वजह से मामलों को अंतिम रूप देने में अत्याधिक विलंब होता है। लिहाजा, विभिन्न संगठनों के संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को परामर्श दिया जाता है कि ऐसी सभी लंबित रिपोर्टो को जल्द से जल्द पूरा करें। इन निर्देशों की अवज्ञा को प्रतिकूल व्यवहार माना जाएगा।
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नई दिल्ली, प्रेट्र। कई सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच लंबित पड़ी हुई है। खास बात यह है कि इस सूची में रेलवे शीर्ष पर है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के आंकड़ों के मुताबिक, रेलवे में भ्रष्टाचार के 730 मामलों की जांच लंबित है, जिनमें 350 वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े हैं। इसी तरह, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में 526, इंडियन ओवरसीज बैंक में 268 और दिल्ली सरकार में भ्रष्टाचार के 193 मामलों की जांच लंबित है। आंकड़े बताते हैं कि इसी तरह के 164 मामले भारतीय स्टेट बैंक में, 128 बैंक ऑफ बड़ौदा में व 82 बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लंबित हैं। दूसरी तरफ, पंजाब नेशनल बैंक में 100, सिंडीकेट बैंक में 91, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 50, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में 47, प्रसार भारती में 41, कॉरपोरेशन बैंक में 36, एयर इंडिया में 26, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड में 30 और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में 02 मामले अनुशासनात्मक जांच के लंबित हैं।
ये आंकड़े सीवीसी की अपनी ओर से की गई पहल पर आधारित हैं, ताकि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में तेजी लाई जा सके। दरअसल, सीवीसी ने विभिन्न सरकारी विभागों से एक निर्धारित प्रारूप में वरिष्ठ और कनिष्ठ स्तर के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के लंबित मामलों का ब्योरा तलब किया था। जवाब में आयोग को 290 संगठनों की ओर से जानकारी मुहैया कराई गई है।
सीवीसी की ओर से सभी विभागों को जारी निर्देश में कहा गया है कि आयोग समय-समय पर सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अनुशासनात्मक प्रक्रिया तेजी से पूरी करने की जरूरत पर बल देता रहा है। इसके मुताबिक, 'बार-बार कहे जाने के बावजूद यह देखा गया है कि इस कार्य के प्रति संबंधित अनुशासनात्मक अधिकारी जरूरी ध्यान नहीं दे रहे हैं, इस वजह से मामलों को अंतिम रूप देने में अत्याधिक विलंब होता है। लिहाजा, विभिन्न संगठनों के संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को परामर्श दिया जाता है कि ऐसी सभी लंबित रिपोर्टो को जल्द से जल्द पूरा करें। इन निर्देशों की अवज्ञा को प्रतिकूल व्यवहार माना जाएगा।
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