प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना:
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ब्लैकमनी पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिए गए
नोटबंदी के फैसले के बाद अब केंद्र सरकार ने इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाया
है। केंद्र सरकार ने ब्लैकमनी को व्हाइट कराने के लिए एक नई योजना की
शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, इस योजना के
तहत कालेधन को 50 फीसदी टैक्स देकर सफेद किया जा सकता है। यह योजना 31
मार्च 2017 तक चलेगी।
- यह योजना 17 दिसम्बर 2016 को शुरू हो गई है। यह योजना 31 मार्च 2017 को बंद होगी। इसके तहत हुए खुलासे पर 50 फीसदी टैक्स और जुर्माना लगेगा। बाकी की 25 फीसदी रकम 4 साल के लिए बैंक में ही जमा रहेगी जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
- अगर आपकी अघोषित आय 10 लाख निकलती है तो आपको 10 लाख का 30 फीसदी यानी 3 लाख रुपए आमदनी टैक्स देना होगा। उसके अलावा 10 फीसदी यानी 1 लाख रुपए आपको इनकम पर पैनल्टी के रूप में देना होगा और 30 फीसदी का 33 फीसदी यानी 3 लाख का 99 हजार रुपये आपको सरचार्ज देना होगा।इसके हिसाब से आपको 10 लाख पर 50 फीसदी जुर्माना यानी 4,99,000 रुपए टैक्स के रूप में चुकाना होगा।
- अघोषित आय के बारे में बताने वालों के नामों का खुलासा नहीं होगा। सरकार ने चेतावनी दी है कि 31 मार्च 2017 के बाद जो पकड़े जाएंगे उनकी खैर नहीं है। टैक्सचोरी पर पूरी आय जब्त हो सकती है और करीब 77 फीसदी न्यूनतम टैक्स चुकाना होगा।
- नए इनकम डिसक्लोजर स्कीम के अंतर्गत आप नई ईमेल आईडी blackmoneyinfo@incometax.gov.in पर जानकारी दे सकते हैं। इस आईडी के जरिए कालेधन का खुलासा करने वाले लोगों के नामों को गुप्त रखा जाएगा।
- अगर कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अपना पैसा डिक्लेयर करता है तो यह पैसा उसकी इनकम में शामिल नहीं माना जाएगा। यानी की अगर किसी ने अपना पैसा इस स्कीम के तहत डिक्लेयर कर दिया तो इसके बाद उस पैसे पर किसी और स्कीम के तहत सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
- जुर्माने से जो राशि आएगी उसका इस्तेमाल गरीब कल्याण योजना के लिए किया जाएगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत बिना हिसाब का पैसा डिक्लेयर करते हुए अगर कोई व्यक्ति जानकारी छिपाता है या गलत जानकारी देता है तो उसका डिक्लेयरेशन रद्द हो जाएगा और स्कीम के तहत चुकाया गया टैक्स और पेनल्टी भी वापस नहीं मिलेगी।
- यह योजना हाल में समाप्त हुई आय घोषणा योजना 2016 से भिन्न है जिसमें कालेधन का खुलासा पहले किया जाता था तथा कर का भुगतान बाद में।