संविधान बनने के बाद से वोट बैंक के लिए आरक्षण का इस्तेमाल और मंडल कमिशन
की रिपोर्ट के आधार पर दिए गए आरक्षण को रिव्यू करने को चुनौती दिए जाने
संबंधी याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र हरियाणा सरकार को
नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर 15 फरवरी के लिए सुनवाई तय की गई
है। स्वयंसेवी संस्था स्नेहांचल चैरिटेबल सोसायटी की ओर से दाखिल याचिका
में कहा गया कि संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया तब से लेकर अब तक
राजनीति के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है।
वोट बैंक के लिए आरक्षण पाने वाली जातियों की संख्या में बढ़ोत्तरी तो
लगातार की जा रही है लेकिन किसी जाति को इससे बाहर कभी नहीं किया गया।
आरक्षण लागू करते हुए हर दस वर्ष में इसे रिव्यू करने का प्रावधान रखा गया
था लेकिन यह काम नहीं किया गया। हरियाणा में आरक्षण के लिए मंडल कमिशन की
रिपोर्ट को 1995 मेंं अपनाया और इस रिपोर्ट के आधार पर शैड्यूल और बी तैयार
किया गया था। इस रिपोर्ट में भी यह कहा गया था कि दस वर्षों बाद दिए गए
आरक्षण की समीक्षा की जाए। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सर्वे या कोई
दूसरा प्रयास नहीं किया गया। 1993 में कंबोज कमिशन बनाया गया तो वहीं 1999
में गुरनाम सिंह कमिशन बनाया गया। इन सभी में कुछ जातियों को पिछड़ा वर्ग
में शामिल करने की बात तो कही गई लेकिन सर्वे या आंकड़ों के आधार पर किसी
को बाहर करने की बात नहीं कही गई। याचिका में कहा गया कि 1951 से लेकर अभी
तक केवल जातियों को शामिल ही किया गया है। ऐसे में आरक्षण की समीक्षा कराई
जानी चाहिए। यह जानने का प्रयास किया जाना चाहिए कि कौन सी जाति आरक्षण का
लाभ पाकर आगे बढ़ी है और उस जाति को पिछड़ा वर्ग की सूची से बाहर किया जाना
चाहिए।
News Sources @ http://www.bhaskar.com/news/UT-CHD-HMU-NES-MAT-latest-chandigarh-news-030003-1633336-NOR.html