सिख धर्म की सर्वोच्च मानी जाने वाली धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि सरदारों पर बने '12 बजे' संबंधी जोक्स पर रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि सिखों का 12 बजे से संबंध उस धर्म के पूर्वजों की बहादुरी से है।
एसजीपीसी ने इतिहास से जुड़े तथ्य कोर्ट के सामने पेश करते हुए कहा कि 12 बजे का संबंध सिखों की बहादुरी से है। जिस वक्त मुस्लिम आक्रमणकारी हमारे देश पर हमला किया करते थे और यहां से धन-संपदा के साथ ही हिंदू महिलाओं को उठाकर ले जाते थे, उस वक्त सिखों ने बहादुरी से उनका मुकाबला किया। एसजीपीसी ने आगे बताया कि क्योंकि सिख मुस्लिमों से कम संख्या मे में होते थे इसलिए उन्होंने सूझबूझ के आधार पर रात 12 बजे मुस्लिम आक्रमणकारियों के डेरों पर हमला कर हिंदू महिलाओं को उनकी कैद से आजाद कराने का वक्त चुना।
एसजीपीसी के अनुसार, 12 बजे का लिंक ब्रिटिश काल से भी जुड़ा है। जब देश पर अंग्रेजों का शासन था, उस वक्त अंग्रेज कलकत्ता के टाइम के अनुसार 12 बजे तोप के गोले दागा करते थे। जबकि सिख पंजाब के समय के अनुसार 12 बजे हमला किया करते थे। बदलते वक्त के साथ पब्लिक में गलत मेसेज गया और उन्होंने पहले हमले को दूसरे हमले के साथ जोड़ लिया। दोनों विश्व युद्धों के दौरान भी सिखों की बहादुरी से भरे कारनामों का जिक्र करते हुए एसजीपीसी की तरफ से ऐडवोकेट कुलदीप गुलाटी ने एफिडेविट दाखिल किया। उन्होंने कहा कि 'मुगल और अफगान आक्रमणकारियों के उस दौर में सिखों द्वारा दिखाई गई बहदुरी, साहस और निर्भयता से देश का मान बचा। यह बहुत ही दुख की बात है कि बदलते वक्त के साथ हमारे समाज में उनके इस त्याग और शौर्य का मजाक चुटकुलों के रूप में उड़ना शुरू हो गया।'
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