हैदराबाद। प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग (एसएमसी) ने गुरुवार को तेलंगाना राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (टीएसबीसीसी) में मुस्लिमों के लिए 12 फीसद आरक्षण की मांग की है। अभी मुस्लिम समुदाय को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 4 फीसद आरक्षण दिया जाता है। एसएमसी ने अब इस आरक्षण को 8 फीसद बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की मांग की है।
मुस्लिमों के लिए जरूरी है आरक्षण
एसएमसी के अध्यक्ष आबिद रसूल खान ने कहा, ‘अगर सरकार मुस्लिम समुदाय के लिए 12 फीसद आरक्षण को मंजूरी दे देती है, तो मौजूद 4 फीसद की सीमा को बढ़ाने संबंधी नया सरकारी आदेश जारी होगा। अगर इसे किसी ने अदालत में चुनौती दी, तो मौजूदा 4 फीसद आरक्षण भी खतरे में आ जाएगा। मौजूदा आरक्षण की हिफाजत करना जरूरी है। इसीलिए हमने 4%+8% के रूप में आरक्षण की मांग की हैं। दोनों को मिलाकर 12 फीसद आरक्षण होता है।’
अपनी याचिका में अल्पसंख्यक आयोग ने दोहराया है कि आरक्षण बढ़ाए जाने को अदालत में चुनौती मिलती है और नतीजन बढ़ाया हुआ आरक्षण रद्द हो जाता है। आयोग ने कहा है कि मौजूदा 4 फीसद कोटा 14 समूहों के बीच बांटा जाता है। इन 14 में मुस्लिम समाज के कई अन्य पिछड़ा वर्ग नहीं आते हैं। आबिद रसूल खान ने कहा, ‘कई खान और सैयद ऐसे हैं जो कि सामाजिक और आर्थिक तौर पर काफी कमजोर हैं। हमने टीएसबीसीसी से कहा है कि उनके बारे में भी विचार करे।’
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14 दिसंबर को टीएसबीसीसी ने मुस्लिम वर्ग के लिए अलग आरक्षण की मांग पर सुनवाई शुरू की थी। आयोग के पास मुस्लिम समुदाय के कई सामाजिक और धार्मिक समूहों की ओर से 13,000 से भी ज्यादा आवेदन आई हैं। कई ने तो आयोग से अपील की है कि वह मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने के लिए अलग-अलग राज्यों का दौरा करे। मजलिस-ए-एत्तेहादुल मुसलिमीन, कांग्रेस और मजलिस बचाओ तहरीक जैसे राजनैतिक दलों ने इन मांगों का समर्थन किया है।
मुस्लिमों के लिए जरूरी है आरक्षण
एसएमसी के अध्यक्ष आबिद रसूल खान ने कहा, ‘अगर सरकार मुस्लिम समुदाय के लिए 12 फीसद आरक्षण को मंजूरी दे देती है, तो मौजूद 4 फीसद की सीमा को बढ़ाने संबंधी नया सरकारी आदेश जारी होगा। अगर इसे किसी ने अदालत में चुनौती दी, तो मौजूदा 4 फीसद आरक्षण भी खतरे में आ जाएगा। मौजूदा आरक्षण की हिफाजत करना जरूरी है। इसीलिए हमने 4%+8% के रूप में आरक्षण की मांग की हैं। दोनों को मिलाकर 12 फीसद आरक्षण होता है।’
अपनी याचिका में अल्पसंख्यक आयोग ने दोहराया है कि आरक्षण बढ़ाए जाने को अदालत में चुनौती मिलती है और नतीजन बढ़ाया हुआ आरक्षण रद्द हो जाता है। आयोग ने कहा है कि मौजूदा 4 फीसद कोटा 14 समूहों के बीच बांटा जाता है। इन 14 में मुस्लिम समाज के कई अन्य पिछड़ा वर्ग नहीं आते हैं। आबिद रसूल खान ने कहा, ‘कई खान और सैयद ऐसे हैं जो कि सामाजिक और आर्थिक तौर पर काफी कमजोर हैं। हमने टीएसबीसीसी से कहा है कि उनके बारे में भी विचार करे।’
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14 दिसंबर को टीएसबीसीसी ने मुस्लिम वर्ग के लिए अलग आरक्षण की मांग पर सुनवाई शुरू की थी। आयोग के पास मुस्लिम समुदाय के कई सामाजिक और धार्मिक समूहों की ओर से 13,000 से भी ज्यादा आवेदन आई हैं। कई ने तो आयोग से अपील की है कि वह मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने के लिए अलग-अलग राज्यों का दौरा करे। मजलिस-ए-एत्तेहादुल मुसलिमीन, कांग्रेस और मजलिस बचाओ तहरीक जैसे राजनैतिक दलों ने इन मांगों का समर्थन किया है।
Sources @ https://puridunia.com/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F-12-%E0%A4%AB%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%A6-%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%95/165321/