(Sitting L to R)Rajendra Prasad and Anugrah Narayan Sinha during Mahatama Gandhi's 1917 Champaran Satyagraha (Photo credit: Wikipedia) |
बिहार एक परिचय
बिहार भारत के प्रमुख राज्यों में से एक है। इसके उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में झारखण्ड राज्य हैं। बिहार की राजधानी पटना है । बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखन्ड है । इसका नाम बौद्ध विहारों का विकृत रूप माना जाता है । यह क्षेत्र गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के मैदानों में बसा है । प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है ।बिहार का उल्लेख वेदों, पुराणों और प्राचीन महाकाव्यों में मिलता है। यह राज्य महात्मा बुद्ध और 24 जैन तीर्थकरों की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर बिम्बिसार, पाटलिपुत्र की स्थापना करने वाले उदयन, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक सहित मौर्य, शुंग तथा कण्व राजवंश के नरेशों ने राज किया इसके पश्चात कुषाण शासकों का समय आया और बाद में गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने बिहार पर राज किया। मध्यकाल में मुस्लिम शासकों का इस क्षेत्र पर अधिकार रहा। बिहार पर सबसे पहले विजय पाने वाला मुस्लिम शासक 'मोहम्मद बिन बख्तियार ख़िलजी' था। ख़िलजी वंश के बाद तुग़लक़ वंश तथा मुग़ल वंश का आधिपत्य रहा था। डॉक्टर अंसारी (1880-1936 ई.) एक प्रमुख मुसलमान राष्ट्रीयतावादी नेता थे। उनका जन्म बिहार में हुआ।
प्राचीन काल में मगध का साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था । यहां से मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशो ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया । मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था । मौर्य वंश का शासन 325 ईस्वी पूर्व से 185 ईस्वी पूर्व तक रहा । छठी और पांचवीं सदी इसापूर्व में यहां बौद्ध तथा जैन धर्मों का उद्भव हुआ । अशोक ने, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसने अपने पुत्र महेन्द्र को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा । उसने उसे पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एक घाट से विदा किया जिसे महेन्द्र के नाम पर में अब भी महेन्द्रू घाट कहते हैं । बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा उसके रास्ते जापान तक पहुंच गया ।
आधुनिक बिहार का संक्रमण काल १७०७ ई. से प्रारम्भ होता है। १७०७ ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजकुमार अजीम-ए-शान बिहार का बादशाह बना। जब फर्रुखशियर १७१२-१९ ई. तक दिल्ली का बादशाह बना तब इस अवधि में बिहार में चार गवर्नर बने। १७३२ ई. में बिहार का नवाब नाजिम को बनाया गया।
इस्लाम का बिहार आगमन
बिहार में सभी सूफी सम्प्रदायों का आगमन हुआ और उनके संतों ने यहां इस्लाम धर्म का प्रचार किया। सूफी सम्प्रदायों को सिलसिला भी कहा जाता है। सर्वप्रथम चिश्ती सिलसिले के सूफी आये। सूफी सन्तों में शाह महमूद बिहारी एवं सैय्यद ताजुद्दीन प्रमुख थे।
• बिहार में सर्वाधिक लोकप्रिय सिलसिलों में फिरदौसी सर्वप्रमुख सिलसिला था। मखदूय सफूउद्दीन मनेरी सार्वाधिक लोकप्रिय सिलसिले सन्त हुए जो बिहार शरीफ में अहमद चिरमपोश के नाम से प्रसिद्ध सन्त हुए। समन्वयवादी परम्परा के एक महत्वपूर्ण सन्त दरिया साहेब थे।
• विभिन्न सूफी सन्तों ने धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक सद्भाव, मानव सेवा और शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व का उपदेश दिया।
अंग्रेज और आधुनिक बिहार
मुगल साम्राज्य के पतन के फलस्वरूप उत्तरी भारत में अराजकता का माहौल हो गया। बंगाल के नवाब अलीवर्दी खाँ ने १७५२ में अपने पोते सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। अलीवर्दी खां की मृत्यु के बाद १० अप्रैल १७५६ को सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना। प्लासी के मैदान में १७५७ ई. में हुए प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार और अंग्रेजों की जीत हुई। अंग्रेजों की प्लासी के युद्ध में जीत के बाद मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया और उसके पुत्र मीरन को बिहार का उपनवाब बनाया गया, लेकिन बिहार की वास्तविक सत्ता बिहार के नवाब नाजिम राजा रामनारायण के हाथ में थी। तत्कालीन मुगल शहजादा अली गौहर ने इस क्षेत्र में पुनः मुगल सत्ता स्थापित करने की चेष्टा की परन्तु कैप्टन नॉक्स ने अपनी सेना से गौहर अली को मार भगाया। इसी समय मुगल सम्राट आलमगीर द्वितीय की मृत्यु हो गई तो १७६० ई. गौहर अली ने बिहार पर आक्रमण किया और पटना स्थित अंग्रेजी फैक्ट्री में राज्याभिषेक किया और अपना नाम शाहआलम द्वितीय रखा।
अंग्रेजों ने १७६० ई. में मीर कासिम को बंगाल का गवर्नर बनाया। उसने अंग्रेजों के हस्तक्षेप से दूर रहने के लिए अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से हटाकर मुंगेर कर दी। मीर कासिम के स्वतन्त्र आचरणों को देखकर अंग्रेजों ने उसे नवाब पद से हटा दिया। मीर कासिम मुंगेर से पटना चला आया। उसके बाद वह अवध के नवाब सिराजुद्दौला से सहायता माँगने के लिए गया। उस समय मुगल सम्राट शाहआलम भी अवध में था। मीर कासिम ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला एवं मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय से मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक गुट का निर्माण किया। मीर कासिम, अवध का नवाब शुजाउद्दौला एवं मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय तीनों शासकों ने चौसा अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ा। इस युद्ध में वह २२ अक्टूबर १७६४ को सर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा पराजित हुआ। इसे बक्सर का युद्ध कहा जाता है। बक्सर के निर्णायक युद्ध में अंग्रेजों को जीत मिली। युद्ध के बाद शाहआलम अंग्रेजों के समर्थन में आ गया। उसने १७६५ ई. में बिहार, बंगाल और उड़ीसा क्षेत्रों में लगान वसूली का अधिकार अंग्रेजों को दे दिया। एक सन्धि के तहत कम्पनी ने बिहार का प्रशासन चलाने के लिए एक नायब नाजिम अथवा उपप्रान्तपति के पद का सृजन किया। कम्पनी की अनुमति के बिना यह नहीं भरा जा सकता था। अंग्रेजी कम्पनी की अनुशंसा पर ही नायब नाजिम अथवा उपप्रान्तपति की नियुक्ति होती थी।
बिहार के महत्वपूर्ण उपप्रान्तपतियों में राजा रामनारायण एवं शिताब राय प्रमुख हैं १७६१ ई. में राजवल्लभ को बिहार का उपप्रान्तपति नियुक्त किया गया था। १७६६ ई. में पटना स्थित अंग्रेजी कम्पनी के मुख्य अधिकारी मिडलटन को राजा रामनारायण एवं राजा शिताब राय के साथ एक प्रशसन मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया। १७६७ ई. में राजा रामनारायण को हटाकर शिताब राय को कम्पनी द्वारा नायब दीवान बनया गया। उसी वर्ष पटना में अंग्रेजी कम्पनी का मुख्य अधिकारी टॉमस रम्बोल्ड को नियुक्त किया गया। १७६९ ई. में प्रशासन व्यवस्था को चलाने के लिए अंग्रेज निरीक्षक की नियुक्ति हुई।