Bermuda Triangle mystery solved; strange, hexagonal-shaped clouds discovered covering the region

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A story has gone viral this morning claiming that experts have finally 'solved' the Bermuda Triangle mystery, with the discovery of strange, hexagonal-shaped clouds covering the region. According to a new Science Channel documentary on the issue, these hexagonal clouds are creating winds of 106 kilometres per hour (65 mph) that act as "air bombs" to sink ships and bring down planes.

 

Since the 1950s, the Bermuda Triangle has been a site of speculation and myth, with many believing aircraft and ships often disappear under "mysterious circumstances" when passing through the region. Scientists are now saying that strange, hexagonal clouds could be the reason for all the disappearances.  

A new theory suggests these hexagonal-shaped clouds create a wind gusts of up to 170 mph, causing ships to sink and planes to crash. These so-called "air-bombs" are so powerful that scientists are comparing them to hurricane-level winds, according to the New York Post. 

"The satellite imagery is really bizarre," said meteorologist Dr. Randy Cerveny, according to The Mirror. "These types of hexagonal shapes in the ocean are in essence air bombs. They’re formed by what is called microbursts and they’re blasts of air that come down out of the bottom of a cloud and then hit the ocean and then create waves that can sometimes be massive in size as they start to interact with each other."

The Bermuda Triangle is a 500,000-square-mile area of water in the north Atlantic Ocean, bounded by Miami, Puerto Rico and Bermuda, and has allegedly been the cause of 75 plane disappearances and hundreds of ship sinkings. 

The first report of strange occurrences at the notorious Bermuda Triangle date back to 1492, when Italian explorer Christopher Columbus noted strange lights and off compass readings when passing through the area.

Since then, dozens of ships and planes have disappeared in the area, and many of the people who enter the area are never seen again. The most recent story is from 2015, when the cargo ship SS El Faro went missing in the Triangle after being caught in a hurricane. Only one body was found, with the other 32 crew members assumed lost at sea.

The hexagonal clouds may provide an answer as to why so many disasters happen in the area, but they are still puzzling meteorologists, as the clouds are nothing like they've ever seen before. 

"You don’t typically see straight edges with clouds," said meteorologist at Colorado State University Steve Miller. “Most of the time, clouds are random in their distribution."

It's not only their odd shape that are stumping scientists, but their size, too. Some clouds found at the tip of the island of Bermuda are 20 to 55 miles across. 

While it's still unclear why these clouds form in the first place, the new satellite imagery is being hailed as a breakthrough and can be considered the most promising clue to a scientific explanation for the mystery of the Bermuda Triangle.

Sources: New York PostThe Mirror / Photo credit: The Science Channel

 

नई दिल्ली: बरमूडा ट्राएंगल, नार्थ अटलांटिक महासागर का वह हिस्साम जिसे 'डेविल्स  ट्राएंगल' यानी 'शैतानी त्रिभुज' भी कहा जाता है। आखिरकार इस 'शैतानी त्रिभुज' की पहेली को सुलझा लिया गया है। साइंस चैनल 'What on Earth?' पर प्रसारित की गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अजीब तरह के बादलों की मौजूदगी के चलते ही हवाई जहाज और पानी के जहाजों के गायब होने की घटनाएं बरमूडा ट्राएंगल के आस पास देखने को मिलती है।

 

इन बादलों को Hexagonal clouds नाम दिया गया है जो हवा में एक बम विस्फोट की मौजूदगी के जितनी शक्ति रखते हैं और इनके साथ 170 मील प्रति घंटा की रफ़्तार वाली हवाएं होती हैं। ये बादल और हवाएं ही मिलकर पानी और हवा में मौजूद जहाजों से टकराते हैं और फिर वो कभी नहीं मिलते। 500,000 स्क्वायर किलोमीटर में फैला ये इलाका पिछले कई सौ सालों से बदनाम रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बेहद तेज रफ़्तार से बहती हवाएं ही ऐसे बादलों को जन्म देती हैं। ये बादल देखने में भी बेहद अजीब रहते हैं और एक बादल का दायरा कम से कम 45 फ़ीट तक होता है।

 

 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये हवाएं इन बड़े बड़े बादलों का निर्माण करती हैं और एक विस्फोट की तरह समुद्र के पानी से टकराते हैं और सुनामी से भी ऊंची लहरे पैदा करते हैं जो आपस में टकराकर और ज्यादा ऊर्जा पैदा करती हैं। इस दौरान ये अपने आस-पास मौजूद सब कुछ बर्बाद कर देते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये बादल बरमूडा आइलैंड के दक्षिणी छोर पर पैदा होते हैं और फिर करीब 20 से 55 मील का सफ़र तय करते हैं। कोलराडो स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और मीट्रियोलोजिस्ट Dr Steve Miller ने भी इस दावे का समर्थन किया है। उन्होंने भी दावा किया है कि ये बादल अपने आप ही पैदा होते हैं और उन्हें ट्रैक कर पाना भी बेहद मुश्किल है।

 

क्या है बरमूडा ट्राएंगल की कहानी....

 

बरमूडा ट्राएंगल करीब 440,000 मील तक के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों को मिला दे तो भी इसकी तुलना में यह क्षेत्र अधिक विस्तृत होगा। यह त्रिकोण निश्चित रूप से एक ही जगह स्थिर नहीं है। इसका प्रभाव त्रिकोण क्षेत्र के बाहर भी महसूस किया जा सकता है।

 

अमेरिका का बमवर्षक हो गया गायब

 

बीते 100 सालों में यहां हज़ारों लोगों की जान गई है। एक आंकड़े में यह तथ्य सामने आया है कि यहां हर साल औसतन 4 हवाई जहाज़ और 20 समुद्री जहाज़ रहस्यमयी तरीके से गायब होते हैं। 1945 में अमेरिका के पांच टारपीडो बमवर्षक विमानों के दस्ते ने 14 लोगों के साथ फोर्ट लोडअरडेल से इस त्रिकोणीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी थी। यात्रा के लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटरों को सिग्नल मिला कि कम्पास काम नहीं कर रहा है। उसके तुरंत बाद संपर्क टूट गया और उन विमानों में मौजूद लोग कभी वापस नहीं लौटे। उनके बचाव कार्य में गए तीन विमानों का भी कोई नामों-निशान नहीं मिला। शोधकर्ताओं का मानना है कि यहां समुद्र के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाज़ों में लगे उपकरण काम करना बंद कर देते हैं। जिस कारण जहाज़ रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

 

कोलंबस ने सबसे पहले इसे देखा

 

 

बरमूडा ट्राएंगल के बारे में सबसे पहले सूचना देने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ही थे। कोलंबस ही वह पहले शख्स थे जिनका सामना बरमूडा ट्रायएंगल से हुआ था। उन्होंने अपनी पत्रिकाओं में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा त्रिकोण के पास पहुंचे, उनके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया।


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