पटना. पटना हाईकोर्ट ने मैट्रिक परीक्षा में नकल को रोकने का सख्त आदेश देते हुए कहा कि अगर शिक्षा मंत्री ने ऐसा करने में असमर्थता जताई है, तो उनको इस्तीफा दे देना चाहिए। शिक्षा मंत्री पीके शाही ने गुरुवार को कहा था कि परीक्षा में नकल को रोकना अकेले सरकार के बूते नहीं है। शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिम्हा रेड्डी एवं न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने परीक्षा में नकल और इस बारे में शिक्षा मंत्री के बयान पर तल्ख टिप्पणी की।
शुक्रवार सुबह वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी एवं अन्य वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को अखबारों में छपी नकल की तस्वीरें दिखाईं। खंडपीठ ने इसका स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे लोकहित याचिका में बदलने का निर्देश दिया। कहा कि इस मामले की सुनवाई 12 बजे से होगी। खंडपीठ ने महाधिवक्ता कार्यालय को नोटिस जारी किया।
चौधरी के अनुसार सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि अगर शिक्षा मंत्री ने नकल रोकने में सरकार को असमर्थ बताया है, तो उनको पद छोड़ देना चाहिए; इस्तीफा दे देना चाहिए। खंडपीठ ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि गृह सचिव, शिक्षा सचिव एवं पुलिस महानिदेशक फौरन पूरे मामले की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट को अगले शुक्रवार को सौंपें।
बोर्ड का कड़ा कदम : अब नहीं होगी नकल
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने शुक्रवार को कहा है कि सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को हर हाल में नकल रोकने को कहा गया है। उन्होंने कहा- मीडिया में आई तस्वीर में साफ है कि पुलिस की मौजूदगी में भी लोग खिड़की से नकल करवा रहे हैं। यह अक्षम्य है। हमारी कवायद का असर शनिवार से दिखेगा।
ये होगी कार्रवाई
-मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से मांगी 24 घंटे में रिपोर्ट। जिलों की रिपोर्ट में जिन केंद्रों से नकल मामले सामने आएंगे, वहां परीक्षा रद्द की जाएगी। केंद्राधीक्षक, वीक्षक, स्टैटिक मजिस्ट्रेट, पुलिस पदाधिकारी व सिपाहियों पर होगी कड़ी कार्रवाई।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
मैट्रिक परीक्षा में नकल की खबर व फोटो अखबारों में छपने के बाद इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने सभी मंडलीय आयुक्त, आईजी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दस दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति बिलाल नजकी, सदस्य न्यायमूर्ति मांधाता सिंह और सदस्य नीलमणि ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नकल पर हर स्थित में लगाम लगे।
शिक्षा मंत्री के बयान पर टिप्पणी
क्या इसलिए होती है सरकार... कि राज्य का ऐसा अंधकारमय भविष्य तय हो। अफसोस, इतने गौरवशाली इतिहास एवं धरोहर वाला प्रदेश अपनी शिक्षा व्यवस्था की बदहाली दिखाकर पूरे देश में शर्मसार हो रहा है। जब नींव की ईंट इतनी कमजोर होगी, तो शिक्षा की इमारत कैसे बनेगी ?
बाकी परीक्षा के लिए दिए निर्देश
बिहार में मैट्रिक परीक्षा के जितने केंद्र हैं, सभी के बाहर डीजीपी पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करें, ताकि नकल न हो।
सभी परीक्षा केंद्रों, केंद्राधीक्षकों, इनविजिलेटरों की सूची तैयार कर हाईकोर्ट को सौंपें।
जिन-जिन केंद्रों पर गड़बड़ी और चोरी की शिकायत हुई है, वहां तैनात सभी केंद्राधीक्षकों व शिक्षकों की सूची तैयार करें।
जांच कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, उसका विस्तृत ब्योरा गृह सचिव एवं शिक्षा सचिव अपनी रिपोर्ट में दें।
मुख्यमंत्री भी गंभीर, बुलाई उच्चस्तरीय बैठक
मैट्रिक परीक्षा में नकल पर आ रही तस्वीरों और खबरों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विशेष बैठक बुलाई। उन्होंने सभी अधिकारियों को हर हाल में नकल रोकने के निर्देश दिए। परीक्षा की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी डीजीपी पी.के.ठाकुर और गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को सौंपी गई है।
निर्णय | 18-19 को हुई 4 केंद्रों की परीक्षा रद्द
राज्य सरकार के आदेश पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 18 और 19 मार्च को हुई चार केंद्रों की परीक्षा रद्द कर दी। ये केंद्र हैं : वैशाली जिले में महनार स्थित विद्या निकेतन, महनार का सेंट फ्रांसिस स्कूल, सिमरी बख्तियारपुर उच्च विद्यालय सहरसा और उच्च विद्यालय नवादा। एक सप्ताह में रद्द केंद्रों की फिर से परीक्षा लेने की तारीख घोषित की जाएगी।
इधर, शिक्षा मंत्री अड़े - कहा- मैंने कुछ गलत नहीं कहा, आगे आए समाज
इधर, चौतरफा आलोचना झेल रहे शिक्षा मंत्री पी. के. शाही अब भी अपने बयान पर कायम हैं। शुक्रवार को विधान परिषद में उन्होंने फिर कहा कि मैट्रिक परीक्षा में नकल रोक पाना अकेले सरकार के बूते नहीं है। इसके लिए अभिभावकों को भी आगे आना होगा।
लेकिन, अब कड़ाई से क्या फायदा : सरकार और बोर्ड जगे तो हैं पर महत्वपूर्ण विषयों की परीक्षा समाप्त होने के बाद। विज्ञान, गणित व अंग्रेजी के नंबरों पर ही इंटर में अच्छे कॉलेज में एडमिशन तय होता है।
बाकी जगहों का क्या बोर्ड के सदस्य खुद मान रहे हैं कि प्रदेश के सभी जिलों में व्यापक पैमाने पर नकल की सूचना है। लेकिन, उनपर कोई निर्णय नहीं लिया गया।