नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (गुजराती: નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી; जन्म: 17 सितम्बर, 1950) भारत के गुजरात राज्य के मुख्यमन्त्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से सम्बद्ध हैं तथा 7 अक्तूबर 2001 से अब तक लगातार इस पद पर हैं। वे 2014 के लोकसभा चुनाव में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमन्त्री पद के प्रत्याशी घोषित किये गये हैं तथा वे वाराणसी तथा वडोदरा संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद गुजरात के मुख्यमन्त्री बने थे। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने पहले दिसम्बर 2002, दिसम्बर 2007 और उसके बाद 2012 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल किया। बेहद साधारण परिवार में जन्में नरेन्द्र विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर अभी तक राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया फिर संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी के साथ रहे नरेन्द्र मोदी पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मन्त्री फिर महामन्त्री बनाये गये। केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद उन्हें गुजरात राज्य की कमान सौंपी गयी। तब से लेकर अब तक वे गुजरात के मुख्यमन्त्री बने हुए हैं।
गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। सर्च इंजन गूगल इण्डिया द्वारा 1 मार्च 2013 से 31 अगस्त 2013 के बीच कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार इण्टरनेट पर सर्च किये जाने वाले भारत के 10 प्रमुख राजनेताओं में नरेन्द्र मोदी पहले स्थान पर हैं। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द इयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है।
इण्डिया टीवी को दिये गये अपने सबसे लम्बे साक्षात्कार में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनती है तो देश का प्रत्येक व्यक्ति उन सभी वस्तुओं का हकदार होगा जिनके हकदार वह स्वयं हैं।
नरेन्द्र मोदी अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद गुजरात के मुख्यमन्त्री बने थे। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने पहले दिसम्बर 2002, दिसम्बर 2007 और उसके बाद 2012 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल किया। बेहद साधारण परिवार में जन्में नरेन्द्र विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर अभी तक राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया फिर संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी के साथ रहे नरेन्द्र मोदी पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मन्त्री फिर महामन्त्री बनाये गये। केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद उन्हें गुजरात राज्य की कमान सौंपी गयी। तब से लेकर अब तक वे गुजरात के मुख्यमन्त्री बने हुए हैं।
गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। सर्च इंजन गूगल इण्डिया द्वारा 1 मार्च 2013 से 31 अगस्त 2013 के बीच कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार इण्टरनेट पर सर्च किये जाने वाले भारत के 10 प्रमुख राजनेताओं में नरेन्द्र मोदी पहले स्थान पर हैं। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द इयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है।
इण्डिया टीवी को दिये गये अपने सबसे लम्बे साक्षात्कार में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनती है तो देश का प्रत्येक व्यक्ति उन सभी वस्तुओं का हकदार होगा जिनके हकदार वह स्वयं हैं।
नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में 17 सितम्बर 1950 को हुआ था। वह पूर्णत: शाकाहारी हैं। भारत पाकिस्तान के बीच द्वितीय युद्ध के दौरान अपने तरुणकाल में उन्होंने स्वेच्छा से रेलवे स्टेशनों पर सफ़र कर रहे सैनिकों की सेवा की। युवावस्था में वह छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए और साथ ही साथ भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा लिया। एक पूर्णकालिक आयोजक के रूप में कार्य करने के पश्चात् उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन का प्रतिनिधि मनोनीत किया गया। किशोरावस्था में अपने भाई के साथ एक चाय की दुकान चला चुके मोदी ने अपनी स्कूली शिक्षा वड़नगर में पूरी की। उन्होंने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा दी और एम॰एससी॰ की डिग्री प्राप्त की ।
अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे पुत्र नरेन्द्र ने बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता का भी हाथ बँटाया। बड़नगर के ही एक स्कूल मास्टर के अनुसार नरेन्द्र हालाँकि एक औसत दर्ज़े का छात्र था लेकिन वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में उसकी बेहद रुचि थी। इसके अलावा उसकी रुचि राजनीतिक विषयों पर नयी-नयी परियोजनाएँ प्रारम्भ करने की भी थी।
अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे पुत्र नरेन्द्र ने बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता का भी हाथ बँटाया। बड़नगर के ही एक स्कूल मास्टर के अनुसार नरेन्द्र हालाँकि एक औसत दर्ज़े का छात्र था लेकिन वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में उसकी बेहद रुचि थी। इसके अलावा उसकी रुचि राजनीतिक विषयों पर नयी-नयी परियोजनाएँ प्रारम्भ करने की भी थी।
नरेन्द्र जब विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे थे। इस प्रकार उनका जीवन संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में प्रारम्भ हुआ उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी। गुजरात में शंकरसिंह वघेला का जनाधार मजबूत बनाने में नरेन्द्र मोदी की ही रणनीति थी।
अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ, मोदी की मेहनत रंग लायी जब गुजरात में 1995 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली। इसी दौरान दो राष्ट्रीय घटनायें और इस देश में घटीं। पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा जिसमें आडवाणी के प्रमुख सारथी की मूमिका में नरेन्द्र का मुख्य सहयोग रहा। इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी की दूसरी रथ यात्रा भी नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इन दोनों यात्राओं ने मोदी का राजनीतिक कद ऊँचा कर दिया जिससे चिढ़कर शंकरसिंह वघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। जिसके परिणामस्वरूप केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमन्त्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया।
1995 में राष्ट्रीय मन्त्री के नाते उन्हें पाँच प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया। इस पद पर वे अक्तूबर 2001 तक काम करते रहे। भारतीय जनता पार्टी ने अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र भाई मोदी को सौंप दी।
अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ, मोदी की मेहनत रंग लायी जब गुजरात में 1995 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली। इसी दौरान दो राष्ट्रीय घटनायें और इस देश में घटीं। पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा जिसमें आडवाणी के प्रमुख सारथी की मूमिका में नरेन्द्र का मुख्य सहयोग रहा। इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी की दूसरी रथ यात्रा भी नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इन दोनों यात्राओं ने मोदी का राजनीतिक कद ऊँचा कर दिया जिससे चिढ़कर शंकरसिंह वघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। जिसके परिणामस्वरूप केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमन्त्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया।
1995 में राष्ट्रीय मन्त्री के नाते उन्हें पाँच प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया। इस पद पर वे अक्तूबर 2001 तक काम करते रहे। भारतीय जनता पार्टी ने अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र भाई मोदी को सौंप दी।
नरेन्द्र मोदी अपनी विशिष्ट जीवन शैली के लिये समूचे राजनीतिक हलकों में जाने जाते हैं। उनके व्यक्तिगत स्टाफ में केवल तीन ही लोग रहते हैं कोई भारी भरकम अमला नहीं होता। लेकिन कर्मयोगी की तरह जीवन जीने वाले मोदी के स्वभाव से सभी परिचित हैं इस नाते उन्हें अपने कामकाज को अमली जामा पहनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती। उन्होंने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मन्दिरों को भी ध्वस्त करवाने में कभी कोई कोताही नहीं बरती जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे। हालाँकि इसके लिये उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों का कोपभाजन भी बनना पड़ा परन्तु उन्होंने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की; जो उन्हें उचित लगा करते रहे। वे एक लोकप्रिय वक्ता हैं जिन्हें सुनने के लिये बहुत भारी संख्या में श्रोता आज भी पहुँचते हैं। वे स्वयं को पण्डित जवाहरलाल नेहरू के मुकाबले सरदार वल्लभभाई पटेल का असली वारिस सिद्ध करने में रात दिन एक कर रहे हैं। धोती कुर्ता सदरी के अतिरिक्त वे कभी कभार सूट भी पहन लेते हैं। गुजराती, जो उनकी मातृभाषा है के अतिरिक्त वे राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही बोलते हैं। अब तो उन्होंने अंग्रेजी में भी धाराप्रवाह बोलने की कला सीख ली है।
मोदी के नेतृत्व में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। भाजपा को इस बार 115 सीटें मिलीं।
मोदी के नेतृत्व में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। भाजपा को इस बार 115 सीटें मिलीं।
मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के विकास[ के लिये जो महत्वपूर्ण योजनाएँ प्रारम्भ कीं व उन्हें क्रियान्वित कराया उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
- पंचामृत योजना - राज्य के एकीकृत विकास की पंचायामी योजना,
- सुजलाम् सुफलाम् - राज्य में जल स्रोतों का उचित व समेकित उपयोग जिससे जल की बरवादी को रोका जा सके,
- कृषि महोत्सव – उपजाऊ भूमि के लिये शोध प्रयोगशालाएँ,
- चिरंजीवी योजना – नवजात शिशु की मृत्युदर में कमी लाने हेतु,
- मातृ-वन्दना – जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु,
- बेटी बचाओ – भ्रूण हत्या व लिंगानुपात पर अंकुश हेतु,
- ज्योतिग्राम योजना – प्रत्येक गाँव में बिजली पहुँचाने हेतु,
- कर्मयोगी अभियान – सरकारी कर्मचारियों में अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा जगाने हेतु,
- कन्या कलावाणी योजना – महिला साक्षरता व शिक्षा के प्रति जागरुकता,
- बालभोग योजना – निर्धन छात्रों को विद्यालय में दोपहर का भोजन
प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार
गोआ में भाजपा कार्यसमिति द्वारा नरेन्द्र मोदी को 2014 के लोक सभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी गयी थी। 13 सितम्बर 2013 को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के लिये प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। इस अवसर पर पार्टी के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी मौजूद नहीं रहे और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसकी घोषणा की। मोदी ने प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद चुनाव अभियान की कमान राजनाथ सिंह को सौंप दी।
नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद मोदी की पहली रैली हरियाणा प्रान्त के रिवाड़ी शहर में हुई। रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को आपस में लड़ने की बजाय गरीबी और अशिक्षा से लड़ना चाहिये।
एक सांसद प्रत्याशी के रूप में नरेन्द्र मोदी वाराणसी तथा वडोदरा संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ेंगे।
लोक सभा चुनाव 2014 में मोदी की स्थिति
न्यूज़ एजेंसीज व पत्रिकाओं द्वारा किये गये तीन प्रमुख सर्वेक्षणों ने नरेन्द्र मोदी को प्रधान मन्त्री पद के लिये जनता की पहली पसन्द बताया है। एसी वोटर पोल सर्वे के अनुसार नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का प्रत्याशी घोषित करने से एनडीए के वोट प्रतिशत में पाँच प्रतिशत के इजाफ़े के साथ 179 से 220 सीटें मिलने की सम्भावना है। फिर भी यह गठबन्धन सरकार बनाने के लिये आवश्यक पूर्ण बहुमत में 52 सीटों से पीछे रह सकता है। सितम्बर 2013 में नीलसन होल्डिंग और इकोनॉमिक टाइम्स ने जो परिणाम प्रकाशित किये थे उनमें शामिल शीर्षस्थ 100 भारतीय कार्पोरेट्स में से 74 कारपोरेट्स ने नरेन्द्र मोदी तथा 7 ने राहुल गान्धी को बेहतर प्रधानमन्त्री बतलाया था। चुनावों की समीक्षा करते हुए राजनीति विज्ञानी आशुतोष वार्ष्णेय की यह टिप्पणी है कि बीजेपी को अन्य पार्टियों के साथ मिलकर और अधिक बड़े गठबन्धन की कोशिश करनी चाहिये थी जिसमें वह अभी तक कामयाब नहीं हो सकी है। नोबुल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन मोदी को बेहतर प्रधान मन्त्री नहीं मानते ऐसा उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था। उनके विचार से मुस्लिमों में उनकी स्वीकार्यता संदिग्ध हो सकती है जबकि जगदीश भगवती और अरविन्द पानगढिया को मोदी का अर्थशास्त्र बेहतर लगता है। योग गुरु स्वामी रामदेव व मुरारी बापू जैसे कथावाचक नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत का भविष्य सुरक्षित समझते हैं।
पत्रकार एम॰ जे॰ अकबर का साफ कहना है कि बीती हुई बातों पर ध्यान देना बेकार है। अब हम सबको अगले 10 साल का बेतावी से इंतजार है। जनता को केन्द्र में एक स्थिर सरकार चाहिए। इस बार 2014 में लोकसभा के चुनावी नतीजे चौंकाने वाले होंगे।
गोआ में भाजपा कार्यसमिति द्वारा नरेन्द्र मोदी को 2014 के लोक सभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी गयी थी। 13 सितम्बर 2013 को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के लिये प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। इस अवसर पर पार्टी के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी मौजूद नहीं रहे और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसकी घोषणा की। मोदी ने प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद चुनाव अभियान की कमान राजनाथ सिंह को सौंप दी।
नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद मोदी की पहली रैली हरियाणा प्रान्त के रिवाड़ी शहर में हुई। रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को आपस में लड़ने की बजाय गरीबी और अशिक्षा से लड़ना चाहिये।
एक सांसद प्रत्याशी के रूप में नरेन्द्र मोदी वाराणसी तथा वडोदरा संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ेंगे।
लोक सभा चुनाव 2014 में मोदी की स्थिति
न्यूज़ एजेंसीज व पत्रिकाओं द्वारा किये गये तीन प्रमुख सर्वेक्षणों ने नरेन्द्र मोदी को प्रधान मन्त्री पद के लिये जनता की पहली पसन्द बताया है। एसी वोटर पोल सर्वे के अनुसार नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का प्रत्याशी घोषित करने से एनडीए के वोट प्रतिशत में पाँच प्रतिशत के इजाफ़े के साथ 179 से 220 सीटें मिलने की सम्भावना है। फिर भी यह गठबन्धन सरकार बनाने के लिये आवश्यक पूर्ण बहुमत में 52 सीटों से पीछे रह सकता है। सितम्बर 2013 में नीलसन होल्डिंग और इकोनॉमिक टाइम्स ने जो परिणाम प्रकाशित किये थे उनमें शामिल शीर्षस्थ 100 भारतीय कार्पोरेट्स में से 74 कारपोरेट्स ने नरेन्द्र मोदी तथा 7 ने राहुल गान्धी को बेहतर प्रधानमन्त्री बतलाया था। चुनावों की समीक्षा करते हुए राजनीति विज्ञानी आशुतोष वार्ष्णेय की यह टिप्पणी है कि बीजेपी को अन्य पार्टियों के साथ मिलकर और अधिक बड़े गठबन्धन की कोशिश करनी चाहिये थी जिसमें वह अभी तक कामयाब नहीं हो सकी है। नोबुल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन मोदी को बेहतर प्रधान मन्त्री नहीं मानते ऐसा उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था। उनके विचार से मुस्लिमों में उनकी स्वीकार्यता संदिग्ध हो सकती है जबकि जगदीश भगवती और अरविन्द पानगढिया को मोदी का अर्थशास्त्र बेहतर लगता है। योग गुरु स्वामी रामदेव व मुरारी बापू जैसे कथावाचक नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत का भविष्य सुरक्षित समझते हैं।
पत्रकार एम॰ जे॰ अकबर का साफ कहना है कि बीती हुई बातों पर ध्यान देना बेकार है। अब हम सबको अगले 10 साल का बेतावी से इंतजार है। जनता को केन्द्र में एक स्थिर सरकार चाहिए। इस बार 2014 में लोकसभा के चुनावी नतीजे चौंकाने वाले होंगे।
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