एक अदद नौकरी के लिए कोई किस तरह जान जोखिम में डाल सकता है, इसका एक उदाहरण पेश हुआ मंगलवार को बरेली में। यहां एक गर्भवती महिला ने चार सौ मीटर की दौड़ लगाई। खास बात यह रही कि उसने यह दौड़ तय समय यानी तीन मिनट से पहले पूरी कर ली। रेलवे की ग्रुप डी की भर्ती के लिए आई इस महिला को फर्राटा भरते देखकर जहां भर्ती में शामिल होने आईं अन्य महिलाएं दंग रह गईं वहीं रेलवे अफसरों के पसीने छूट गए, क्योंकि महिला पांच माह के गर्भ से थी और भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने पर अड़ी थी। ग्रुप डी के तहत खलासी, हेल्पर, पोर्टर आदि पदों पर नौकरी मिलती है। इन दिनों पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जत नगर मंडल में गु्रप डी भर्ती प्रक्रिया चल रही है। दो दिन महिलाओं के लिए आरक्षित थे। मंगलवार को 254 महिलाएं भर्ती में शामिल हुई। शारीरिक दक्षता परीक्षा में पास होने के लिए हर अभ्यर्थी को तीन मिनट में चार सौ मीटर की दौड़ लगानी थी। पहले बैच की दौड़ पूरी होने के बाद जब दूसरे बैच की बारी आई तो एक महिला को देखकर रेलवे अफसर हैरान रह गए। खिलौना नाम की यह महिला पांच माह के गर्भ से थी। रेलवे अफसरों ने उसे दौड़ने से मना किया, लेकिन वह नहीं मानी। अफसरों ने उस पर यह लिखकर देने का दबाव बनाया कि वह अपने जोखिम पर दौड़ में शामिल होना चाहती है, लेकिन उसने यह लिखकर देने से मना कर दिया। करीब आधे घंटे की कवायद के बाद उसे दौड़ में शामिल कर लिया गया। दौड़ के बाद खिलौना ने बताया कि चार साल पहले नौकरी के लिए आवेदन किया था। उसे क्या पता कि इसी वक्त भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। खिलौना के तीन बच्चे हैं और उसका पति किसानी करता है। गर्भवती महिला को दौड़ में शामिल करने के सवाल पर डीआरएम, पीआरओ राजेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसी महिलाओं को दौड़ाने के संबंध में कोई निर्देश नहीं हैं। सोमवार को कुछ महिलाओं को वापस भी कर दिया था, लेकिन खिलौना नहीं मानी। ऐसे में क्या किया जा सकता था? ज्ञात हो कि पिछले वर्ष इलाहाबाद में कुलियों की भर्ती के दौरान महिलाओं को दौड़ाने पर संसद में हंगामा हुआ था।
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